जैसे उसकी आँख खुली खेलने निकली चुलबुली
कभी दौड भाग कभी झूल झूल
कभी घूमघाम कभी कूद कूद
घर पहुँची तो माँ बोली मुँह हाथ धो लो चुलबुली
माँ जब मुँह हाथ का हो ऐसा हाल
तो क्या गंदे न होंगे बाल
इसी लिये धोना है सिर्फ मुँह हाथ नही
मुँह हाथ और बाल
चलो अब खेलने चलते हैं
खेलने निकली बाहर चुलबुली
पेडके नीचे जा पहुँची
तभी अचानक कहीं दूरसे
उसने एक आवाज सुनी -मियाँऊँ
कहाँपे हो तुम छोटी बिल्ली ढूँढ रही थी चुलबुली
तभी जो उसने ऊपर देखा पेड पे हो तुम फँसी हुई
देख बचाने बिल्लीको फिर चढी पेडपे चुलबुली
चढते चढते चढते चढते बिल्लीसे वो जा मिली
फिर दौड भाग और खेल कूदकर दोनो घरकी ओऱ चली
घर पहुँची तो माँ बोली मुँह हाथ धो लो चुलबुली
माँ जब मुँह हाथ का हो ऐसा हाल
तो क्या गंदे न होंगे बाल
इसी लिये धोना है सिर्फ मुँह हाथ नही
मुँह हाथ और बाल
चलो अब फिरसे खेलते हैं।।
मंगलवार, 21 अगस्त 2012
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