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बुधवार, 26 फ़रवरी 2014

***व्याकरणकी मजेदार बातें 4 देवपुत्र 2014

व्याकरणकी मजेदार बातें 4  देवपुत्र   2014


March 2014
व्याकरण की मजेदार बातें (भाग ४)
-लीना मेहेंदले

     मित्रो, हम अपनी इस व्याकरण की कड़ी में शब्दों के विषय में कुछ सीखेंगे।यह सदा स्मरण रहे कि मनुष्य ने पहले बोलना सीखा तत्पश्चात लिखनां सीखा। इसलिए हम भी पहलेशब्दों को पढ़ेगे, बाद में लिपी, वर्णमालाऔर अक्षरोंको।
     शब्दों का वर्गीकरण हम इस प्रकार करते हैं- संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण, क्रियापद (क्रिया), क्रियाविशेषण , अत्यय।इसमें से अत्ययों के तीन प्रकार बताए गए हैं- केवल प्रयोगी, उभयात्ययीऔर विस्मयादिबोधक।यह वर्गीकरण संस्कृत, हिन्दीसहित भारत की सभी भाषाओं पर लागू है और अंग्रेजी सहित सारी यूरोपीय भाषाओं पर भी।मेरे बच्चे जब शाला में पढ़ते थे तब मैंने उन्हें संज्ञा की परिभाषा ऐसे पढ़ाई थी- किसी व्यक्ति, जाति, वस्तु या भाव के नाम को संज्ञा कहते हैं, जैसे राम, घोड़ा, पानी, भलाईइत्यादि।आज तक हम लोग कभी-कभी इस वाक्य को कोरस में गाकर ऐसा मजा लूटते हैं। खैर! और बोलचाल में बार-बार संज्ञा को दोहराने से वाक्य की सुन्दरता में बाधा आती है इसलिए हम सर्वनाम का उपयोग करते हैं।जैसे, राम पेड़ पर चढ़ा वहाँ से उसने दूर तक देखा।इस वाक्य से हम समझ जाते हैं कि “उसने” शब्द राम के लिए है जबकि “वहाँ” शब्द से ‘पेड़के ऊपर’ का बोध होता है।तो व्याकरण की आधी पढ़ाई तो शब्दोंके भेद और उनकेप्रयोग समझने से हो ही जाती है। सर्वनामों के साथ ‘पुरुष’ नामक एक संकल्पना जुड़ी है।बात करनेवाला जब अपने स्वयं के संबंधमेंकुछ कहना चाहता है तो वह अपने लिए “मैं” शब्द का प्रयोग करता है।संस्कृत में “अहं” शब्द का प्रयोग होता है।जैसे मैं जाती हूँ, मैंनेपुस्तक पढ़ी।बात सुनने वाले के संबंध में कुछ कहना हो तो ‘तुम’ या संस्कृतमें ‘त्वम्’ शब्द का प्रयोग होता है और इन दोनों से परे किसी व्यक्तिया वस्तु की बात करनीहो तो  “वह” शब्द इस्तेमाल करते हैं।तो “मैं”, “तुम” और “वह” को क्रमशः उत्तम पुरुष, मध्यम पुरुष, प्रथम पुरुष, कहते हैं।लेकिन स्मरण रहे किअंग्रेजी में I, You, और He के लिए First Second और Third person कहा गया है। कभी-कभी हिन्दी में भी उसी को दोहराते हुए कोई कह बैठता हैप्रथम पुरुष, द्वितीय पुरुष और तृतीय पुरुषऔर इस कारण गलती की संभावना बढ़ जाती है।तो हम जो व्याकरण की बात करेंगेउसमें उत्तम , माध्यम, और प्रथम पुरुष हिन्हीं शब्दों का 
प्रयोग करेंगे।पुरुष के अलावा संज्ञा और सर्वनामों में एक वचन, द्विवचन और बहुवचन का भेद भी होता है। जिस कारण शब्द का रुप बदल जाता है।ये मजेदार बातें अगली कड़ी में करेंगे।











































मंगलवार, 25 फ़रवरी 2014

***व्याकरणकी मजेदार बातें 3 देवपुत्र फरवरी 2014

व्याकरणकी मजेदार बातें 3  देवपुत्र फरवरी 2014

February 2014
व्याकरण की मजेदार बातें (भाग ३) 
-लीना मेहेंदले

      आज हम भारतीय भाषाओं की एक खूबी की बात करते हैं कि कैसे एक नाम से दूसरे नाम बनते हैं।यह खूबी आई हैं संस्कृत भाषासे।जब दो  व्यक्तियों के बीच माता-पिताऔर पुत्र-पुत्री का संबंध हो तब माता-पिता के नाम से पुत्र-पुत्री का नाम बनाया जा सकता है। आज हम ऐसे नाम बनाने के कुछ उदाहरण और नियम देखेंगे।
     वैसे एक बात कह दूं कि कभी-कभी यह एक नाम से दूसरे नाम बनाने की क्रिया भौगोलिक संबंध भी दर्शाती है।
     आरंभ करते हैंजनक दुलारी सीता से। जनक की पुत्री होने के कारण सीता का दूसरा नाम पड़ा जानकी। जनकराज का दूसरा नाम थाविदेह इससे शब्द बना वैदेही। इसी प्रकार जिस नगरी में सीता राज्यकन्या थीवह थी मिथीला नगरी। तो मिथीला नगरी के नाम पर सीता का नाम पड़ा मैथिली।इस प्रकार हमने देखा कि- 
जनक से - जानकी
विदेह से- वैदेही
मिथिला से - मैथिली।
      इसी प्रकार से द्रौपदी के नाम भी हम देख सकतें हैं। उसका असली नाम था 
कृष्णा क्योंकि वह सांवली थी लेकिन उसके अन्य नाम थे- द्रुपद राजा की पुत्री अतः द्रोपदी ।पांचाल देश की राजकुमारी अतः पांचाली यज्ञ से उत्पन्न होने के कारण - याज्ञसेनी।इसी प्रकार रघुवंश में जन्म लेने के कारण राम का नाम पड़ा- राघव
यदुवंशमें जन्मेकृष्ण का नाम- यादव
पाण्डु राजा के पुत्रों का नाम- पाण्डव
कुरुवंश राजपुत्रों का संबोधन- कौरव
मनु के पुत्रों का संबोधन- मानव.
     हमारे देश का नाम है भारत। इसका भी इतिहास है। यहाँ एक महापराक्रमी राजा हुए भरत उनके नाम पर हमारे देश का नाम पड़ा- भरत से भारत।वैसे अपने देश में दो प्रसिद्ध भरत और भी थे। एक प्रतापी राजा जड़भरत जो बाद में संन्यासी बनकर महान तत्ववेत्ता और दार्शनिक बने।दूसरे थे भक्तियोग के महानायक दशरथ पुत्र भरत जिन्होंने प्रतिनिधि के रुप में चौदह वर्षों तक आयोध्या की राजगद्दी संभाली।तो भारत नाम के पीछे चाहे जिस भरत का नाम हो - दार्शनिक भरत या भक्त शिरोमणि भरत या महापराक्रमी राजा भरत। हमें तो व्याकरण से मतलब हैकि भरत के नाम पर अपने देश का नाम हुआ हैभारत।
     इस कडी में मुझे सबसे ज्यादा मजा आया जब मैंने भारतीय महीनों के नाम को नक्षत्रों के नाम के साथ जोड़कर देखा।सत्ताईस नक्षत्रों में से बारह नक्षत्रों के नाम से बारह महीने बने हैंजो इस प्रकार है-
चित्रा नक्षत्र से - चैत्र
विशाखा नक्षत्र से - वैशाख
ज्येष्ठा नक्षत्र से- ज्येष्ठ
आषाढ़ा नक्षत्र से- आषाढ़
श्रवण नक्षत्र से- श्रावण
भाद्रपदा नक्षत्र से- भाद्रपद
अश्विनी नक्षत्र से- अश्विन
कृत्तिका नक्षत्र से- कार्तिक
मृगशिरा नक्षत्र से- मार्गशीर्ष
पुष्य नक्षत्र से- पौष
मघा नक्षत्र से - माघ
फाल्गुनी नक्षत्र से- फाल्गुनमहिना।
     इसी प्रकार और दो नामों की चर्चा करते हैं-
     भगीरथ राजा के प्रयत्न से गंगा नदी को स्वर्ग से धरती पर लाया गया इसलिए गंगाको भगीरथ की पुत्री माना जाता है।तो भगीरथ पुत्री होने से गंगा का नाम पड़ाभागीरथी।इसी प्रकार दशरथ पुत्र होने से राम का दशरथि ।देखा कितनी समानता हैदो नामों में।इसी प्रकार-
कुंती पुत्रका नामकौन्तेय(अर्जुन)
राधा पुत्र का नाम राधेय (कर्ण)
गंगा पुत्र का नाम गांगेय (भीष्म)
अंजनी पुत्रका नाम आंजनेय (हनुमान)
कौसल्या पुत्रका नाम सौमित्र (लक्ष्मण)
सुभद्रा पुत्र का नाम सौभद्र (अभिमन्यु)
     इन सारे मूल नामों में और उनसे उत्पन्न नामों को गौर से देखने पर तुम्हें उनके नियमों का कुछ तो अन्दाजा हो ही गया होगा। ये नाम सारे देश की सांस्कृतिक धरोहर हैं और सबकी समझ में आते हैं। लेकिन हाँ, उनका व्याकरण से क्या नाता हैतुमने अब जाना है। तो इसे याद रखना।