नटखट ढब्बूजीके गीत
१) ओ ढब्बूजी, तुम क्या खाते जी
मैं तो खाऊँगा, चना जोर गरम
और कचोरी और आईस्क्रीम
ए ढब्बूजी, तुम क्या खाते जी
मैं तो खाऊँगा, लड्डू और बर्फी
या फिर खाऊँगा ठंडी ठंडी कुल्फी
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भो ढब्बूजी त्वम् किं खादसि
खादिष्याम्यहम् चनाजोरगरमम्
एवं कचोरीम् वा आईस्क्रीमम् ।
भो ढब्बूजी त्वम् किं खादसि
खादिष्याम्यहम् लड्डून् वा बर्फीम्
अथवा प्रियं मे शीतां शीतां कुल्फीम् ।।
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२) ओ ढब्बूजी, तुम क्या पढते जी
मैं तो पढूँगा कखगघङ
अआइई और क्षत्रज्ञ
ए ढब्बूजी, तुम क्या पढते जी
मैं तो पढूँगा एक दो तीन चार
पाँच छः सात आठ नौ और दस
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भो ढब्बूजी त्वम् किं पठसि
पठिष्यामि अक्षरान् कखगघङ
अआइई एवं क्षत्रज्ञ ।
भो ढब्बूजी त्वम् किं पठसि
पठिष्यामि एकं द्वे त्रीणि चत्वारि
पंच षट् सप्त अष्ट नव च दश ।।
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३) ओ ढब्बूजी, तुम क्या देखते जी
मैं तो देखूँगा रंगबिरंगे फूल
गाते पंछी और हरी हरी घास
ओ ढब्बूजी, तुम क्या देखते जी
मैं तो देखूँगा उजला उजला चाँद
काले काले बादल नीला आकाश
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भो ढब्बूजी त्वम् किं पश्यसि
बहूनि पश्यामि पुष्पाणि अहं
गायन्तान् खगान् हरितम् ग्रासम् ।
भो ढब्बूजी त्वम् किं पश्यसि
पश्यामि अहं चंद्रमाम् शुभ्रम्
श्यामवर्णान् मेघान् नीलमाकाशम् ।।
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४) ओ ढब्बूजी, तुम क्या करते जी
मैं तो कूदूँगा धप्पधपाधप
खीर खाऊँगा गपगपागप
ओ ढब्बूजी, तुम क्या करते जी
मैं तो भागूँगा भैया से आगे
दादीजी मेरे पीछे पीछे भागे
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भो ढब्बूजी त्वम् किं करिष्यसि
कूर्दिष्याम्यहम् धप्पधपाधप
खीरं खादिष्यामि गपगपागप ।
भो ढब्बूजी त्वम् किं करिष्यसि
भ्रातृभ्यः अग्रे धाविष्याम्यहम्
पितामही धाविष्यति पृष्ठतः मह्यम् ।।
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५) ओ ढब्बूजी, तुम कहाँ बैठते जी
मैं तो बैठूँगा दादीजी की गोदमें
झूला झूलूँगा झूलनकुर्सीमें ।।
ओ ढब्बूजी, तुम कहाँ बैठते जी
मैं तो बैठूँगा दादीजीकी पीठपर
दादी बोलेगी ये है बोरी भर शक्कर
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भो ढब्बूजी कुत्र उपविश्यसि
मातामह्याः अंके उपविश्याम्यहम्
हिंदोला हिंदोला दोलयाम्यहम् ।
भो ढब्बूजी कुत्र उपविश्यसि
मातामह्याः पृष्ठे उपविश्याम्यहम्
सा कथयिष्यति शर्करा इदम् ।।
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