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शनिवार, 29 नवंबर 2014

***व्याकरणकी मजेदार बातें -12 -उपसर्ग(2) नोव्हेंबर 2014

व्याकरणकी मजेदार बातें -12 -उपसर्ग 
देवपुत्र, इंदौर,  नोव्हेंबर 2014 

उपसर्ग के अर्थ जानो

     बच्चों, हमने पिछले अंक में देखा की शब्दों के पिछे उपसर्ग लगाकर उन्हें विशेष अर्थ दिया जा सकता है। इसी कडी को थोडा और समझते हैं। 
     अ और निर ये दो उपसर्ग ऐसे हैं- जिनका सामान्य अर्थ अभाव होता है। लेकिन ऐसा नही कि जहाँ चाहो अ की जगह निर लगा दिया। दोनों के कुछ खास शब्दों का गौर करो-
     अनादि, अमर, अज्ञान, अपात्र इत्यादि में अ की जगह निर नही लगा सकते। निर्विवाद, निर्मनुष्य, निर्मम, में निर की जगह अ नही लगा सकते।
     एक और उपसर्ग है निः या निस्। प्रायः संधि  बनाने के लिये निः का विसर्ग  स  में बदल जाता है।
     निस्संग, निश्चल, निस्तार, आदि में निस् उपसर्ग का उपयोग होता है- निर् का नही होता।
     अब इन शब्दों की तुलना करो- 
     अभय- निर्भय
     अचल- निश्चल
 यहाँ अभय और निर्भय दोनों शब्दों के अर्थ में अन्तर है। इसी प्रकार अचल और निश्चल मे भी अंतर है। इस सूक्ष्म भेद को मैंने ऐसे समझा कि जहाँ मूलतः ही अभाव हो, वहा अ का प्रयोग होता है परन्तु जहाँ संभावना होते हुए भी प्रयत्न पूर्वक उसका निस्तार किया जाता है वहाँ निस या निर उपसर्ग लगाया जाता है।
     अब हम कई उपसर्ग लेकर उनके पांच पांच शब्द सीखेंगे। और शर्त यह है कि अगला अंक देखने से पहले तुम में से कौन कौन मुझे किस किस उपसर्ग के पांच-पांच शब्द भेज सकता है, जरा मैं भी तो देखूँ। परा उपसर्ग के पांच शब्द- पराजय, परावलम्बी, परामर्श, पराकाष्टा, परांचन.
     सम उपसर्ग के पांच शब्द- समन्वय, समष्टि, समकालीन, सम्पूर्ण, समग्र.
     अनु उपसर्ग के पांच शब्द- अनुबंध, अनुपालन, अनुशंसा, अनुज, अनुभूति- अनुकरण.
     
यहाँ अनु शब्द का अर्थ है छोटा या सीमित। लेकिन अनु के शब्दों में अनुदार मत लिख देना क्यों कि वहाँ लगा हुआ उपसर्ग अन् + उदार = अनुदार है।
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व्याकरणकी मजेदार बातें -12 -उपसर्ग नोव्हेंबर 2014

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