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शनिवार, 29 नवंबर 2014

***व्याकरणकी मजेदार बातें -11 -उपसर्ग(1) देवपुत्र अक्तूबर 2014

व्याकरणकी मजेदार बातें -11 -उपसर्ग (1)
देवपुत्र, इंदौर, अक्तूबर 2014


व्याकरण की बाते
उपसर्ग

     मित्रों, हमारी सारी भारतीय भाषाएँ संस्कृत से उभरी हैं, और संस्कृत की विशेषताएँ लेकर उभरी हैं। संस्कृत में शब्दों का सामर्थ्य बढाने हेतु कई युक्तियाँ हैं। संधि और समास ऐसी दो युक्तियाँ थी और हमने बहुब्रीही समासको विस्तार से समझा। ऐसी ही अन्य युक्ती है कि शब्दों के पहले उपसर्ग लगाकर उन्हे विशेष अर्थ दिया जाता है। मुझे स्कूल में व्याकरण का यह पाठ भी बहुत अच्छा लगता था और व्याकरण की पुस्तक से सूची बनाकर मैंने उन्हें रट लिया था- प्र, परा , अप, सम, अनु, अव, निस, निर, दुस , दुर, वि, आ, नि । वैसे और भी उपसर्ग हैं पर ये प्रमुख हैं ।
     अब उपसर्ग का काम क्या है? तो उपसर्ग किसी शब्द के पीछे लग कर उसे दूसरा विशेष अर्थ प्रदान करता है। और प्रत्येक उपसर्ग का अपना अपना अर्थ होता है- वही उस शब्द के साथ जुड जाता है। इसके कुछ उदाहरण देखने हैं- एक उपसर्ग है ‘अ’ जो किसी शब्द के साथ लगने पर उसे उलटा अर्थ देता है। जैसे-
     पात्र- सही व्यक्ति.
     अपात्र- वह व्यक्ति जो सही नही है (उस काम के लिये).
     संभव- जो हो सकता है.
     असंभव- जो नही हो सकता.
     मर्त्य- जो मर जाता है.
     अमर्त्य- जो मर नही सकता.

     दूसरा एक उपसर्ग है ‘स’ जो साथ-साथ होने के अर्थ में प्रयुक्त होता है।
     जैसे कारण- सकारण,
     आकार- साकार
     फल- सफल
     शब्द- सशब्द
s
     जब ‘सु’ उपसर्ग लगता है तब गुणों में वृद्धि का बोध देता है.
     जैसे- गंध- सुगंध
                    कोमल- सुकोमल
                    आगत- सुआगत = स्वागत
                    शोभित - सुशोभित
     
     जब ‘प्र’ उपसर्ग लगता है तब प्रचंडता, पराक्रम, मेहनत का बोध देता है । इन शब्दों का स्मरण करो, और हरेक के अर्थ पर गौर करो-
प्रभु, प्ररवर, प्रकाण्ड, प्रफुल्ल, प्रस्फुटित, प्रचण्ड, प्रसार, प्रकार, प्रभास, प्रसन्न आदि। 

हिंदी का शब्दकोष देखो तो प्र उपसर्ग से आरंभ होनेवाले सौ से अधिक शब्द तुम्हें मिलेंगे और प्रत्येक का अर्थ समझ लेने से तुम्हारे शब्द सामर्थ्य में, शब्द-प्रभुता में प्रचण्ड वृद्धि होगी ।

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